SHREYASH
Sunday, March 15, 2015
सहमत हो तो मुस्कुरा देना बस ।
दुसरो की बुराई करते हुए हम इंसानियत जो की हरेक धर्म का मूल है उसे भूल जाते है ।
और इंसानियत को जो भूल गया उसका धर्म तो क्या वो मानव कहलाने लायक भी नही होता है ।
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